Friday, June 19, 2009

कुछ टूटी फूटी शायरी........



१.

जरूरी नही कि हर बार कसूर बताया जाये,

इस बार मुझे चुपचाप फान्सी पर चडाया जाये।

मुझे मलूम है आह भरना भी जुर्म है यहा,

पर मैने क्यो आह भरी, सब को बताया जाये.

२.

क्यो बादल बन बन कर घिरते हो,

क्यो बिजली बन बन कर गिरते हो,

तूझे मालूम है खन्जर चला ना पाओ गे,

फिर क्यो अस्तीन मै खन्जर छिपाये फ़िरते हो।

३.

सबसे पहले नाम खुदा का लिजिये,

प्यार मै सच्चाइ ढुढा न किजिये।

ये वो चीज़ है जो अब मिलती नही कही,

बेकार मै वक्त ज़ाया न किजिये

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1 comment:

khamoshi said...

har baar hi aisa kyon hota hai
pyar hi harbar kuon rota hai
kuch to hogi sachchayi in Ankho me
bewajah harbar ankho me anshu nahi hota hai